कालसर्प दोष क्या है? और इस दोष को कालसर्प दोष क्यों कहा जाता है, शास्त्रों का अध्ययन करने पर हमने पाया राहू के अधिदेवता काल अर्थात यमराज है और प्रत्यधि देवता सर्प है, और जब कुंडली में बाकी के ग्रह राहु और केतु के मध्य आ जाते तो इस संदोष को ही कालसर्प दोष कहते है।
- मां धोलेश्वरी ज्योतिष केंद्र द्वारा अवंतिका तीर्थ उज्जैन में जन्म पत्रिका के अनुसार होने वाला पूजन क्रम -
- 1. राहु - केतु के माध्यम से कालसर्प दोष योग शांति
- 2. मंगल दोष निवारण ( मंगल शांति भात पूजन) यह कर्म तीन प्रकार से होता है -
- 1. सामान्य मंगल शांति
- 2. ग्रह शांति के साथ मंगल शांति कर्म
- 3. भगवान मंगल जप के साथ सा विधि पंचांग कर्म मंगलशांति पूजा
- 3. अर्क विवाह या कुंभ विवाह
- 4. गुरु चांडाल दोष या बुध चांडाल दोषिवाह
- 5. केंद्रम दोष या विष योग
- 6. मूल शांति या नक्षत्र शांति
- 7. नवग्रह शांति या नवग्रह जाप या अनुष्ठान कर्म
- 8. महामृत्युंजय जाप रुद्र अभिषेक दुर्गा सप्तशती पाठ यज्ञ वास्तु पूजन आदि कर्म वैदिक पद्धति से कराया जाता है |